Monday 3 October 2011

एक जिंदा ख़्वाब...

सोंच इन आँखों में क्या है ,
मरे हुए ख्वाबों के सिवा ...

ज़रा गौर कर
शायद कोई ख्वाब जिंदा हो ...

उठा लो उसे और दिल से सहेज लो

थोड़े विश्वास से,थोड़े प्रयास से
उस ख्वाब को बचा लो ...

फिर पलकों से उठा कर
हांथों की लकीरों में बसा लो ...

इस ख्वाब को जिंदा रहने दो
और अपना बना लो ...

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