Friday 19 August 2011

है विश्वास....

हमें चाहत है सारे जहाँ पे
छाने की ...
हमें आदत है तुफानो से
टकराने की ...
हम विश्वास रखते हैं
अपने इरादों पे ,
हमने ठानी है आसमा का सर 
झुकाने की ...

आशाओं के पंख ...



आशाओं के पंख लगा के
वक़्त का पंछी उड़ता जाये ....

मंजिल भले दूर दिखती हो ,
एक दिन क़दमों में झुक जाये ...
सपनो के बादल पे चल के ,
बिन पंखों अम्बर तक जाये ...

साथ अगर ये ख़्वाब चले तो ,
मुट्ठी में दुनिया भर जाये ...

ख़ुशी है क्या ....???
मन की उड़ान है .
साथ न इसका छूटने पाए ....