Friday, 19 August 2011

है विश्वास....

हमें चाहत है सारे जहाँ पे
छाने की ...
हमें आदत है तुफानो से
टकराने की ...
हम विश्वास रखते हैं
अपने इरादों पे ,
हमने ठानी है आसमा का सर 
झुकाने की ...

3 comments:




  1. ख़ुशी जी
    नमस्कार !

    आपकी छोटी-सी कविता बहुत पसंद आई …
    इतनी ज़्यादा … कि , पूरी कोट कर रहा हूं
    :)
    हमें चाहत है सारे जहां पे
    छाने की ...
    हमें आदत है तूफ़ानों से
    टकराने की ...
    हम विश्वास रखते हैं
    अपने इरादों पे ,
    हमने ठानी है आसमां का सर
    झुकाने की



    आपके इरादों को नमन :)

    आपको सपरिवार
    नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !

    -राजेन्द्र स्वर्णकार

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  2. hamare blog pe aap ka swagat hai.aap ki protsahan bhari prtikriya ne mere houslon ko aur bhi mazboot bana diya hai, dhanyawad rajendra ji.abhar.

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  3. ख़ुशी जी

    आभार !

    अब आपकी नई रचना का इंतज़ार है …
    :)

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