आपकी छोटी-सी कविता बहुत पसंद आई … इतनी ज़्यादा … कि , पूरी कोट कर रहा हूं :) हमें चाहत है सारे जहां पे छाने की ... हमें आदत है तूफ़ानों से टकराने की ... हम विश्वास रखते हैं अपने इरादों पे , हमने ठानी है आसमां का सर झुकाने की
आपके इरादों को नमन :)
आपको सपरिवार नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं ! -राजेन्द्र स्वर्णकार
♥
ReplyDeleteख़ुशी जी
नमस्कार !
आपकी छोटी-सी कविता बहुत पसंद आई …
इतनी ज़्यादा … कि , पूरी कोट कर रहा हूं
:)
हमें चाहत है सारे जहां पे
छाने की ...
हमें आदत है तूफ़ानों से
टकराने की ...
हम विश्वास रखते हैं
अपने इरादों पे ,
हमने ठानी है आसमां का सर
झुकाने की
आपके इरादों को नमन :)
आपको सपरिवार
नवरात्रि पर्व की बधाई और शुभकामनाएं-मंगलकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार
hamare blog pe aap ka swagat hai.aap ki protsahan bhari prtikriya ne mere houslon ko aur bhi mazboot bana diya hai, dhanyawad rajendra ji.abhar.
ReplyDeleteख़ुशी जी
ReplyDeleteआभार !
अब आपकी नई रचना का इंतज़ार है …
:)